तुलसी काया खेत है, मनसा भयौ किसान।
पाप पुण्य दोउ बीज हैं, बुवै सौ लुनै निदान।।
तुलसीदास कहते हैं कि हमारा शरीर एक खेत है और मन किसान है तथा पाप व पुण्य दोनों बीज हैं। इस खेत में जिस प्रकार का बीज बो कर खेती होती है, वैसी फसल प्राप्त होती है।
🙏🏻जय श्री सच्चिदानंद जी🙏
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